Sharing my poem "Prayaas" which i wrote in Eleventh standard. Pleased to
note that this poem has won first prize in poetry competition recently.
इस दुख में भी एक छुपा हुआ सा सुख है |
तभी अतिसुख होने पर व्यक्ति करता दुख है |
तुम इस दुख के भीतर छुपे हुए सुख को पहचानो |
और हार हारकर हार हारकर हार ना मानो |
हारा हुआ वही है जिसने हार को माना |
और जिसने अपने पुरुषार्थ को नहीं पहचाना |
विजय श्री चूमेगी कदम तुम्हारे जो तुम हार ना मानोगे |
हार हारकर हार हारकर जो तुम चद्दर ना तानोगे |
जो अभी तक लड़ रहा है छोड़ी ना जिसने आस है |
बेहतर है करोड़ों गुणा उससे जो खो चुका सारी प्यास है |
जब तक ना पायो लक्ष्य को बढ़े चलो तुम |
आएँगी विफलताएँ लेकिन ना विचलित होना तुम |
एडिसन ने झेली हज़ारो विफलताएँ किंतु नहीं छोड़ा प्रयास |
लेकिन बल्ब बना दे गये सृष्टि को और सिखा गये विश्वास |
इस दुख में भी एक छुपा हुआ सा सुख है |
तभी अतिसुख होने पर व्यक्ति करता दुख है |
तुम इस दुख के भीतर छुपे हुए सुख को पहचानो |
और हार हारकर हार हारकर हार ना मानो |
हारा हुआ वही है जिसने हार को माना |
और जिसने अपने पुरुषार्थ को नहीं पहचाना |
विजय श्री चूमेगी कदम तुम्हारे जो तुम हार ना मानोगे |
हार हारकर हार हारकर जो तुम चद्दर ना तानोगे |
जो अभी तक लड़ रहा है छोड़ी ना जिसने आस है |
बेहतर है करोड़ों गुणा उससे जो खो चुका सारी प्यास है |
जब तक ना पायो लक्ष्य को बढ़े चलो तुम |
आएँगी विफलताएँ लेकिन ना विचलित होना तुम |
एडिसन ने झेली हज़ारो विफलताएँ किंतु नहीं छोड़ा प्रयास |
लेकिन बल्ब बना दे गये सृष्टि को और सिखा गये विश्वास |