Donnerstag, 17. Januar 2019

Prayaas

Sharing my poem "Prayaas" which i wrote in Eleventh standard. Pleased to note that this poem has won first prize in poetry competition recently.


 इस दुख में भी एक छुपा हुआ सा सुख है |
तभी अतिसुख होने पर व्यक्ति करता दुख है |

तुम इस दुख के भीतर छुपे हुए सुख को पहचानो |
 और हार हारकर हार हारकर हार ना मानो |

हारा हुआ वही है जिसने हार को माना |
 और जिसने अपने पुरुषार्थ को नहीं पहचाना |

 विजय श्री चूमेगी कदम तुम्हारे जो तुम हार ना मानोगे |
हार हारकर हार हारकर जो तुम चद्दर ना तानोगे |

 जो अभी तक लड़ रहा है छोड़ी ना जिसने आस है |
बेहतर है करोड़ों गुणा उससे जो खो चुका सारी प्यास है |

 जब तक ना पायो लक्ष्य को बढ़े चलो तुम |
आएँगी विफलताएँ लेकिन ना विचलित होना तुम |

एडिसन ने झेली हज़ारो विफलताएँ किंतु नहीं छोड़ा प्रयास |
लेकिन बल्ब बना दे गये सृष्टि को और सिखा गये विश्वास |



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